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कथाकार: May 2007
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Sunday, May 13, 2007. विजेता. बाबा, खेलो न! 8220;दोस्त, अब तुम जाओ। तुम्हारी माँतुम्हें ढूँढ रही होगी।”. 8220;माँ को पता है- मैं तुम्हारे पास हूँ । वो बिल्कुल परेशान नहीं होगी। पकड़म- पकड़ाई ही खेल लो न! 8220;बेटा, तुम पड़ोस के बच्चों के साथ खेल लो। मुझे अपना खाना भी तो बनाना है ।”. 8220;मेरी माँ तो बहुत पहले ही मर गयी थी।” नब्बे साल के बूढ़े ने मुस्कराकर कहा ।. 8220;दोस्त! 8220;और क्या, बूढ़े की तो कमर भी झुकी होती है।”. 8220;बाबा,पकड़ो- -पकड़ो! वह- -क्या करेगा? किसके पास रहेगा? होगी- -तब भी...बूढ़े...
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कथाकार: January 2009
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Wednesday, January 28, 2009. ਸੁਕੇਸ਼ ਸਾਹਨੀ. 8221; ਵੱਡੇ ਸਾਹਬ ਨੇ ਚਪੜਾਸੀ ਨੂੰ ਘੂਰਦੇ ਹੋਏ ਪੁੱਛਿਆ, “ ਤੂੰ ਮੇਰੇ ਦਫ਼ਤਰ ‘ਚੋਂ ਕੀ ਚੁਰਾ ਕੇ ਲਿਜਾ ਰਿਹਾ ਸੀ? 8221;“ਕੁਝ ਨਹੀਂ ਸਾਹਬ! 8221;“ਝੂਠ ਨਾ ਬਕ! 8221; ਵੱਡਾ ਸਾਹਬ ਚੀਕਿਆ, "ਚੌਂਕੀਦਾਰ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਸੂਚਨਾ ਦਿੱਤੀ ਹੈ, ਤੂੰ ਡੱਬੇ ‘ਚ ਕੁਝ ਛੁਪਾ ਕੇ ਲਿਜਾ ਰਿਹਾ ਸੀ- -ਕੀ ਸੀ ਉਹਦੇ ‘ਚ? ਸੱਚ-ਸੱਚ ਦੱਸ ਦੇ ਨਹੀਂ ਤਾਂ ਮੈਂ ਪੁਲਸ ‘ਚ ਤੇਰੇ ਖ਼ਿਲਾਫ਼- - ” “ਨਹੀਂ - -ਨਹੀਂ ਸਾਹਬ! ਮੈਂ ਸੱਚ ਬੋਲ ਰਿਹਾਂ ਹਾਂ।”“ਹੈਂ! ਵੱਡੇ ਬਾਬੂ ਨੂੰ ਸਿਓਂਕ ਦੀ ਕੀ ਲੋੜ ਪੈ ਗਈ? सहज साहित्य. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). ਵੋਹ ਜ਼ਮੀ&#...मित...
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कथाकार: June 2008
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Monday, June 2, 2008. हैड एंड टेल. हम खुशी से उछल पड़े। टास हमारे पक्ष में गया था। अब उन दो रास्तों में से किसी एक को हम चुन सकते थे।. हमने दूसरा रास्ता चुना।. हमारे चेहरे बुझे हुए थे। हमारे पास अपनी लम्बी होती परछाइयों के सिवा कुछ भी न था।. मनोविज्ञान. Links to this post. Labels: मनोविज्ञान:सुकेश साहनी. Subscribe to: Posts (Atom). विश्व-घड़ी. अपनी लिपि. Read in your own script. सुकेश साहनी के प्रिय ब्लॉग. सहज साहित्य. शब्दों का सफर. ਪੰਜਾਬੀ ਮਿੰਨੀ. वाटिका. वाटिका – मई 2013. मित्रो, ‘...मेरी पस&#...राज...
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कथाकार: April 2010
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Friday, April 9, 2010. गोल्डन बैल्ट-. ख़लील ज़िब्रान. अनुवाद : सुकेश साहनी. सालामिस शहर की ओर जाते हुए दो आदमियों का साथ हो गया। दोपहर तक वे एक नदी तक आ गए. जिस पर कोई पुल नहीं था। अब उनके पास दो विकल्प थे. 8211; तैरकर नदी पार कर लें या कोई दूसरी सड़क तलाश करें।. 8216;‘ तैरकर ही पार चलते हैं. 8217;’ वे एक दूसरे से बोले. 8216;‘ नदी का पाट कोई बहुत चौड़ा तो नहीं है।. उनमें से एक आदमी. जो अच्छा तैराक था. जिसे तैरने का अभ्यास नहीं था. 8217; पहले व्यक्ति ने पूछा।. 8216;‘ दोस्त. Links to this post. 8211; भर...
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कथाकार: June 2007
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Tuesday, June 5, 2007. श्याम सुन्दर 'दीप्ति'. एक अदालत में मुकदमा पेश हुआ । “साहब, यह पाकिस्तानी है। हमारे देश में हद पार करता हुआ पकड़ा गया है। तू इस बारे में कुछ कहना चाहता है? मजिस्टेट ने पूछा । मैंने क्या कहना है, सरकार! Links to this post. Labels: राजनीति:श्याम सुन्दर दीप्ति. मरुस्थल के वासी. श्याम सुन्दर अग्रवाल. मंत्री के सुझाव से लोगों ने तालियों से स्वागत किया।. थोड़ी झिझक के बाद एक बुजुर्ग बोला, साब! Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). विश्व-घड़ी. अपनी लिपि. Read in your own script.
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कथाकार: June 2010
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Sunday, June 27, 2010. सुकेश साहनी. खुशी के मारे उसके पाँव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। साइबर कैफे से बाहर आते ही उसने घर का नम्बर मिलाया।. उससे बोला नहीं गया।. हमारी बेटी ने किला फतेह कर लिया! मैंने मुख्य परीक्षा पास कर ली है। मेरिट में दूसरे नम्बर पर हूँ! मुझे पता था. हमारी बेटी है ही लाखों में एक! उसकी आँखें भर आईं। पापा की छोटी-सी नौकरी थी. उसमें सबसे ऊपर नीले रंग में लिखा था-. वेलकम-मिस सुनन्दा! नीचे प्रश्न दिए हुए थे. जिनके आगे अंकित. को उसे. करना था. विवाहित हैं. ड्रिंक. किया है. चैटिæ...सवा...
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कथाकार: October 2008
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Wednesday, October 1, 2008. कहानी का बीज रूप नहीं है लघुकथा. कहानी का बीज रूप नहीं है लघुकथा. सुकेश साहनी. लघुकथा को लेकर अक्सर कहा जाता रहा है कि लघुकथा कहानी का बीजरूप है. लघुकथा में जीवन की व्याख्या संभव नहीं है. जिन विषयों पर कहानी. लघुकथा जीवन की विसंगतियों की झलक दे सकती है. इन टिप्पणियों में से अधिकतर का उत्तर आज लिखी जा रही लघुकथाओं ने दे दिया है. भिखारी. भ्रष्टाचार आदि ही लघुकथा के विषय हो सकते हैं. भिन्न प्रकार के होते हैं. जिस विषय पर लघुकथा लिखी गई हो. कहानी और लघुकथा ...लघुकथा म&...इसका...
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कथाकार: July 2010
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Friday, July 9, 2010. सुकेश साहनी. आँगन में ट्राइसिकिल चलाते हुए बच्चा. ऊँ ची आवाज में गा रहा था. जुम्मे के जुम्मे घर आया करो. हम तुम्हारे दिल में रहते हैं.आकर चुम्मा दे जाया करो. साइकिल के पीछे तालियां पीटते हुए दौड़ रही उसकी बहन भी बोले जा रही थी. जुम्मा. जुम्मा.चुम्मा. चुम्मा! ये सुनकर रसोई में काम कर रही बच्चों की माँ का खून खौल उठा. वह अपना आपा खो बैठी. इस अप्रत्याशित मार से बौखलाकर बच्चे. पापा.पापा. चिल्लाने लगे. अगले ही क्षण फूट. पागल हुई हो क्या. आखिर हुआ क्या है. कुछ नियम. सुथरी ह...य हो...
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कथाकार: October 2007
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Thursday, October 25, 2007. मैग्मा. सामने खडे आदमी का चेहरा किसी बच्चे जैसा है। लगता है, इसे अच्छी तरह जानता हूँ. पर उसका नाम–पता याद नहीं आता।. गोले की सतह दर्पण सी चमक रही है।. मन में आशा बंधती है।. 8216;‘तुम रो क्यों रहे थे? 8217;’ वह पूछती है।. मैं डरकर पीछे की ओर खिसकता हूँ।. यहीं जाग जाता हूँ। कमरे में नाइट बल्ब की धुंधली रोशनी है। दिल की धड़कन अभी तक...Links to this post. Labels: कहानी. सुकेश साहनी. Subscribe to: Posts (Atom). विश्व-घड़ी. अपनी लिपि. Read in your own script. 1-* भोर प्य&...ਵੋਹ...
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कथाकार: November 2007
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Saturday, November 24, 2007. रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’. Links to this post. Labels: रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’. Friday, November 9, 2007. बाल मनोविज्ञान पर आधारित लघुकथाएँ :. सुकेश साहनी. 8216;‘आपको क्या हुआ है? 8217;’ मैं माँ से पूछता हूँ।. 8216;‘कुछ भी नहीं।’’ माँ कहती है।. 8216;‘तो आज आप यहाँ क्यों बैठी हैं, दादी खाना क्यों बना रही है? 8216;‘आप प्लेट में रोटी क्यों नहीं खा रही? 8217;’ मैं पूछता हूँ।. 8216;‘तो फिर? बच्चे और शिक्षा. बच्चे और परिवार. बच्चे और समाज. Links to this post. 1-* भोर प...