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तूती की आवाज: January 2013
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तूती की आवाज. क्यूंकि दुनिया नक्कारखाने में तब्दील हो चुकी है . . . गुरुवार, जनवरी 10, 2013. यह सेना जो आप के शरहद की रक्षा करता है भाड़े का टटू नही है. Posted by संतोष कुमार सिंह. 3 आप भी कुछ कहें. मंगलवार, जनवरी 08, 2013. दिल्ली गैंग रेप के आर में मीडिया आम लोगो के साथ गैंग रेप कर रही है. Posted by संतोष कुमार सिंह. 1 आप भी कुछ कहें. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). मेरे बारे में. संतोष कुमार सिंह. पटना, बिहार, India. मेरी ब्लॉग सूची. अपनी बात. 1 माह पहले. यह सेनì...
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तूती की आवाज: July 2012
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तूती की आवाज. क्यूंकि दुनिया नक्कारखाने में तब्दील हो चुकी है . . . बुधवार, जुलाई 25, 2012. पत्रकार अक्सर लक्ष्मण रेखा पार करते रहते है. Posted by संतोष कुमार सिंह. 0 आप भी कुछ कहें. शनिवार, जुलाई 21, 2012. जीवन जीने के लिए मिला है खोने के लिए हमारे आपके पास बहुत कुछ है. Posted by संतोष कुमार सिंह. 1 आप भी कुछ कहें. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). मेरे बारे में. संतोष कुमार सिंह. पटना, बिहार, India. मेरी ब्लॉग सूची. अपनी बात. 3 सप्ताह पहले. 1 माह पहले. 2 माह पहले. जीवन...
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ठहाका: नवंबर 2007
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त्वरित टिप्पणियों की टकसाल: हिन्दी कवि सम्मेलन. टिप्पणियों के बेताज बादशाह: श्याम ज्वालामुखी. ब्लाग पर टिप्पणियाँ देने का चलन आम है. मेरी जानकारी में हिन्दी ब्लाग पर टिप्पणियाँ देने मे. उड़न तश्तरी. कोई चार दिन की जिन्दगी मे सौ काम करता है. किसी की सौ बरस के जिन्दगी में कुछ नही होता. मेरी समझ से यही समीर भाई का राज है. अशोक चक्रधर. सुभाष काबरा ,अरुण जैमिनी ,. कुमार विश्वास. किरण जोशी ,. सुनील जोगी. पेमेंट. बिहारी. मैं देर तक उस नशे मे रहा. बसंत आर्य. 7 टिप्पणियां:. Links to this post. अरे काम...लाख...
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ठहाका: चकुआडीह
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बडी लाइन से बावन किलोमीटर हटके. छोटी लाइन के छोटे रेलवे स्टेशन. चकुआ डीह के. गार्ड बाबू बडे ही दु:खी रहते है. दु:खी तो रहते है स्टेशन मास्टर तक. आइंस्टीन से कम कोशिश नही करते. यह समझने की कि. क्यो बना यहाँ स्टेशन. जब दिना भर मे एक ही ट्रेन गुजरनी है. और वो भी रुकने की नही. चली जाती है ठेंगा दिखाती हुई. धरधराती हुई. क्या यह उनका समय है. जो उन्हे ही ठेंगा दिखा रही है. या उनका भाग्य. जो धरधराता हुआ उनसे दूर निकला जा रहा है. छोटे से स्टेशन पर. कुछ नही है ऐसा भी नही. जहाँ आकर. बसंत आर्य. बडी लाइन. चर्च&...
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ठहाका: प्रेम में डूबी औरत
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प्रेम में डूबी औरत. ये जैसी है वैसी दिखती नही है. ये जैसी दिखती है वैसी. है नही. जो कभी थकी थकी सी. कभी कभी ऊर्जा के अतिरेक से भरी हुई दिखती है. अपने घर में घूमती हुई. पडोसियों से बतकहियाँ करती हुई. इसे शहर की आग ने बहुत तपाया है. तपा तपा कर पिघलाया है. और सोना बनाया है. इस पूरी प्रक्रिया में. बिल्कुल तरल हो गई है औरत. चक्करघिन्नी सी घूमती रहती है जो. घर से स्कूल. स्कूल से दफ्तर. दफ्तर से बाजार. और बाजार से घर तक. कभी अचानक हंस पडती है. कभी अचानक रोने लगती है. पता नहीं चलता. या दमित रूदन. आपने बह&#...
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ठहाका: कौन हो तुम जो सपनो मे छेड जाती हो !!!!!
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कौन हो तुम जो सपनो मे छेड जाती हो! एक बार फिर पूरानी यादे जो अपके सामने प्रस्तुत है). कौन हो तुम. मेरी यादो के झरोखे से. झांक झांक जाती हो. और घूंघट उठाते ही. दूर दूर तक भी. कही नजर नही आती हो. अजीब बात है यह. कि जब बन्दकर देता हूँ. दरवाजे खिड्कियाँ सब. तभी तुम आती हो. चुपके चुपके. पता नही किधर से? सन्नाटे के क्षणो मे. गूँज जाती है एक आवाज. वह तेरी ही. फिर लम्हो ही लम्हो मे. उठता है एक दर्द. जो मीठा होता है. एक तुफान सा उठता है! बसंत आर्य. Labels: तूफान. 6 टिप्पणियां:. ने कहा…. ने कहा…. सदस्यत...
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ठहाका: ठहाका: एक अमिताभ बच्चन एक माधुरी दीक्षित और एक वकील साहब
http://thahakaa.blogspot.com/2015/06/blog-post_11.html
ठहाका: एक अमिताभ बच्चन एक माधुरी दीक्षित और एक वकील साहब. ठहाका: एक अमिताभ बच्चन एक माधुरी दीक्षित और एक वकील साहब. बसंत आर्य. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). मेरे बारे में. बसंत आर्य. Mumbai, Maharashtra, India. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. जिन्हें लोगों ने पसंद किया. लालू यादव ही नहीं,सारे बिहारी चोर हैं. किस्सा अमिताभ बच्चन,रेखा और एक बकरी का. ब्लॉग आर्काइव. अक्तूबर. कौन डाल से आये पंछी. पंछी आये कौन नगर से. फुरसतिया.
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ठहाका: मार्च 2010
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प्रेम में डूबी औरत. ये जैसी है वैसी दिखती नही है. ये जैसी दिखती है वैसी. है नही. जो कभी थकी थकी सी. कभी कभी ऊर्जा के अतिरेक से भरी हुई दिखती है. अपने घर में घूमती हुई. पडोसियों से बतकहियाँ करती हुई. इसे शहर की आग ने बहुत तपाया है. तपा तपा कर पिघलाया है. और सोना बनाया है. इस पूरी प्रक्रिया में. बिल्कुल तरल हो गई है औरत. चक्करघिन्नी सी घूमती रहती है जो. घर से स्कूल. स्कूल से दफ्तर. दफ्तर से बाजार. और बाजार से घर तक. कभी अचानक हंस पडती है. कभी अचानक रोने लगती है. पता नहीं चलता. या दमित रूदन. दिल्...