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साहित्य-संवाद ( کتھا پرسنگ / कथा-प्रसंग )

साहित्य-संवाद ( کتھا پرسنگ / कथा-प्रसंग ). Sunday, August 17, 2008. प्रेमचंद : कहानी-यात्रा के तीन दशक / प्रो. शैलेश ज़ैदी [4.4]. कहानी यात्रा के ठोस क़दम. टिप्पणी. ज़माना, 1911, पृ0 314. चिट्ठी-पत्री, भाग 1, पृ0 50. वही, पृ0 60. वही, पृ0 60-61. वही, प्र० 158. युग-विमर्श. Labels: प्रेमचंद / कहानी / प्रो. शैलेश ज़ैदी. Thursday, August 14, 2008. 44 असली नाम और नकली कहानियाँ. 11 फरवरी, सैरे- कोहसार के दो पन्ने तर्जुमा किए. 13 फरवरी, करीब तीन पेज रूपांतर किया. टिप्पणी. 2404;वही, पृ0 193 ( 12. चिट्ठ&...चिट...

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साहित्य-संवाद ( کتھا پرسنگ / कथा-प्रसंग ). Sunday, August 17, 2008. प्रेमचंद : कहानी-यात्रा के तीन दशक / प्रो. शैलेश ज़ैदी [4.4]. कहानी यात्रा के ठोस क़दम. टिप्पणी. ज़माना, 1911, पृ0 314. चिट्ठी-पत्री, भाग 1, पृ0 50. वही, पृ0 60. वही, पृ0 60-61. वही, प्र० 158. युग-विमर्श. Labels: प्रेमचंद / कहानी / प्रो. शैलेश ज़ैदी. Thursday, August 14, 2008. 44 असली नाम और नकली कहानियाँ. 11 फरवरी, सैरे- कोहसार के दो पन्ने तर्जुमा किए. 13 फरवरी, करीब तीन पेज रूपांतर किया. टिप्पणी. 2404;वही, पृ0 193 ( 12. चिट्ठ&...चिट...
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साहित्य-संवाद ( کتھا پرسنگ / कथा-प्रसंग ). Sunday, August 17, 2008. प्रेमचंद : कहानी-यात्रा के तीन दशक / प्रो. शैलेश ज़ैदी [4.4]. कहानी यात्रा के ठोस क़दम. टिप्पणी. ज़माना, 1911, पृ0 314. चिट्ठी-पत्री, भाग 1, पृ0 50. वही, पृ0 60. वही, पृ0 60-61. वही, प्र० 158. युग-विमर्श. Labels: प्रेमचंद / कहानी / प्रो. शैलेश ज़ैदी. Thursday, August 14, 2008. 44 असली नाम और नकली कहानियाँ. 11 फरवरी, सैरे- कोहसार के दो पन्ने तर्जुमा किए. 13 फरवरी, करीब तीन पेज रूपांतर किया. टिप्पणी. 2404;वही, पृ0 193 ( 12. चिट्ठ&...चिट...

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साहित्य-संवाद ( کتھا پرسنگ / कथा-प्रसंग ): सम्पादक नैरंगे-ख़याल के नाम फ़िल्म जगत से सम्बंधित प्रेमच&#230

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साहित्य-संवाद ( کتھا پرسنگ / कथा-प्रसंग ). Thursday, July 31, 2008. सम्पादक नैरंगे-ख़याल के नाम फ़िल्म जगत से सम्बंधित प्रेमचंद की एक अप्राप्य चिट्ठी / प्रोफेसर शैलेश ज़ैदी. बेरादरम- तस्लीम. और हेराल्ड लायेड. की अदाकारी के फिदाइयों को मह्जूज़ (आनंदित) कर सकें? नियाज़ मंद. प्रेमचंद. मुसव्विरे-फ़ितरत). टिप्पणी :. Reta Garbo ] रीटा गार्बो. Lloyd, Herold] हेराल्ड लायेड. Mae West ] मेवेस्ट. 1893-1980) न्यूयार्क सिटी के वुडहैवेन में जन्...युग-विमर्श. महामंत्री-तस्लीम. July 31, 2008 at 10:41 PM.

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साहित्य-संवाद ( کتھا پرسنگ / कथा-प्रसंग ): April 2008

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साहित्य-संवाद ( کتھا پرسنگ / कथा-प्रसंग ). Saturday, April 5, 2008. प्रेमचंद : कहानी-यात्रा के तीन दशक/प्रो. शैलेश ज़ैदी. अध्याय- 1. प्रेमचंद का रचना-संसार : एक संगम, एक त्रिवेणी. युग-विमर्श. Labels: प्रो० शैलेश ज़ैदी की पुस्तक. प्रेमचंद : कहानी-यात्रा के तीन दशक / संक्षिप्त परिचय. लेखक : प्रो. शैलेश ज़ैदी. चर्चा में रही. ( डॉ. परवेज़. फ़ातिमा. युग-विमर्श. Labels: प्रो. शैलेश ज़ैदी की पुस्तक. Subscribe to: Posts (Atom). कथा-साहित्य/प्रेमचंद. डॉ.परवेज़ फातिमा. युग-विमर्श. View my complete profile.

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साहित्य-संवाद ( کتھا پرسنگ / कथा-प्रसंग ): July 2008

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साहित्य-संवाद ( کتھا پرسنگ / कथा-प्रसंग ). Thursday, July 31, 2008. सम्पादक नैरंगे-ख़याल के नाम फ़िल्म जगत से सम्बंधित प्रेमचंद की एक अप्राप्य चिट्ठी / प्रोफेसर शैलेश ज़ैदी. बेरादरम- तस्लीम. और हेराल्ड लायेड. की अदाकारी के फिदाइयों को मह्जूज़ (आनंदित) कर सकें? नियाज़ मंद. प्रेमचंद. मुसव्विरे-फ़ितरत). टिप्पणी :. Reta Garbo ] रीटा गार्बो. Lloyd, Herold] हेराल्ड लायेड. Mae West ] मेवेस्ट. 1893-1980) न्यूयार्क सिटी के वुडहैवेन में जन्...युग-विमर्श. Thursday, July 24, 2008. पर दृष्टि डाल&...इसी प्रक&...छाप...

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साहित्य-संवाद ( کتھا پرسنگ / कथा-प्रसंग ): डॉ. अब्दुल हक़ के नाम प्रेमचंद की एक अप्राप्य महत्वपूर्ण चिट&

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साहित्य-संवाद ( کتھا پرسنگ / कथा-प्रसंग ). Sunday, June 8, 2008. डॉ. अब्दुल हक़ के नाम प्रेमचंद की एक अप्राप्य महत्वपूर्ण चिट्ठी / प्रो. शैलेश ज़ैदी. यहाँ डॉ, अब्दुल हक़ को लिखी गई प्रेमचंद की चिट्ठी मूल उर्दू से रूपांतरित की जा रही है. दफ़्तर, रिसाला हंस. बनारस कैंटोनमेंट. 4 जून 36 ई0. भाई साहब किब्ला, तस्लीम. है आप खुश हैं. नियाज़ मंद. प्रेमचन्द. युग-विमर्श. Labels: आलेख / आलोचना / चिट्ठी. दिनेशराय द्विवेदी. July 8, 2008 at 4:24 AM. July 8, 2008 at 6:18 AM. Subscribe to: Post Comments (Atom).

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साहित्य-संवाद ( کتھا پرسنگ / कथा-प्रसंग ): August 2008

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साहित्य-संवाद ( کتھا پرسنگ / कथा-प्रसंग ). Sunday, August 17, 2008. प्रेमचंद : कहानी-यात्रा के तीन दशक / प्रो. शैलेश ज़ैदी [4.4]. कहानी यात्रा के ठोस क़दम. टिप्पणी. ज़माना, 1911, पृ0 314. चिट्ठी-पत्री, भाग 1, पृ0 50. वही, पृ0 60. वही, पृ0 60-61. वही, प्र० 158. युग-विमर्श. Labels: प्रेमचंद / कहानी / प्रो. शैलेश ज़ैदी. Thursday, August 14, 2008. 44 असली नाम और नकली कहानियाँ. 11 फरवरी, सैरे- कोहसार के दो पन्ने तर्जुमा किए. 13 फरवरी, करीब तीन पेज रूपांतर किया. टिप्पणी. 2404;वही, पृ0 193 ( 12. चिट्ठ&...चिट...

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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: हज़रत अली / जन्म दिवस [26 जून 2010 / तेरह रजब 1431 हि0]पर विशेष

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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش. श्रेष्ठ साहित्य आम आदमी तक पहुंचाना ही युग-विमर्श का लक्ष्य है जिसमें आप भी शरीक हैं। आपका सहयोग, आपके सुझाव, आपकी जिज्ञासाएं हमारे लिए महत्वपूर्ण है. Saturday, June 26, 2010. हज़रत अली / जन्म दिवस [26 जून 2010 / तेरह रजब 1431 हि0]पर विशेष. गाह बेगाह कर अली ख़्वानी।. है अली दानी ही ख़ुदा दानी॥. फ़र्शे राहे अली कर आँखों को।. यूँ बिछा तू बिसाते ईमानी ॥. है वही मेह्र चर्ख़े-इरफ़ाँ का ।. हम अली को ख़ुदा नहीं जाना ।. सम्राट अकबर के दरबारी कव&#23...हौं सेवक ...हज़रत अल&...

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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: June 2009

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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش. श्रेष्ठ साहित्य आम आदमी तक पहुंचाना ही युग-विमर्श का लक्ष्य है जिसमें आप भी शरीक हैं। आपका सहयोग, आपके सुझाव, आपकी जिज्ञासाएं हमारे लिए महत्वपूर्ण है. Monday, June 29, 2009. ले जाता है ऐ दिल मुझे नाहक़ तू कहाँ और. ले जाता है ऐ दिल मुझे नाहक़ तू कहाँ और. गोकुल के सिवा कोई नहीं जाये-अमां और. जमुना का ये तट और ये मुरली के तराने,. जी चाता है उम्र गुज़र जाये यहाँ और. ये इश्क के इज़हार की आज़ादी कहाँ है. Posted by युग-विमर्श. Sunday, June 28, 2009. उसकी शिक्ष&#...Labels: ग&#2364...

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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: August 2009

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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش. श्रेष्ठ साहित्य आम आदमी तक पहुंचाना ही युग-विमर्श का लक्ष्य है जिसमें आप भी शरीक हैं। आपका सहयोग, आपके सुझाव, आपकी जिज्ञासाएं हमारे लिए महत्वपूर्ण है. Saturday, August 29, 2009. हमें है जाना जहाँ तक ये रास्ते जायें. हमें है जाना जहाँ तक ये रास्ते जायें।. इरादे बीच में कैसे जवाब दे जायें।।. घ्ररौन्दे हम तो बनाते रहेंगे साहिल पर ,. बला से मौजें इन्हें अपने साथ ले जायें ॥. ज़माल उसका वहाँ और भी नुमायाँ है,. Posted by युग-विमर्श. Wednesday, August 26, 2009. Labels: ग़...

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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: September 2009

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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش. श्रेष्ठ साहित्य आम आदमी तक पहुंचाना ही युग-विमर्श का लक्ष्य है जिसमें आप भी शरीक हैं। आपका सहयोग, आपके सुझाव, आपकी जिज्ञासाएं हमारे लिए महत्वपूर्ण है. Wednesday, September 23, 2009. परिन्दे पहले के जैसी उड़ान भरते नहीं ।. परिन्दे पहले के जैसी उड़ान भरते नहीं ।. के उनके उड़ने से अब आसमान भरते नहीं ॥. वो ख़्वाब क्या थे जिन्हें कोई नाम दे न सका,. इबारतों का मज़ा सादगी में होता है,. शऊर करती है बेदार हक़ शनास नज़र,. Posted by युग-विमर्श. Tuesday, September 22, 2009. वह&#236...

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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: October 2009

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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش. श्रेष्ठ साहित्य आम आदमी तक पहुंचाना ही युग-विमर्श का लक्ष्य है जिसमें आप भी शरीक हैं। आपका सहयोग, आपके सुझाव, आपकी जिज्ञासाएं हमारे लिए महत्वपूर्ण है. Thursday, October 29, 2009. न कोई क़िस्सा है अपना न दास्ताँ अपनी ।. न कोई क़िस्सा है अपना न दास्ताँ अपनी ।. के अब तो भूल चुकी है मुझे ज़ुबाँ अपनी॥. हुई थी मेरी कभी हुस्ने-लामकाँ को तलब,. जहाँ दिखायी थीं उसने निशानियाँ अपनी॥. Posted by युग-विमर्श. Tuesday, October 13, 2009. Posted by युग-विमर्श. Labels: ग़ज़ल /...मुस...

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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: सियासत की अंधी सुरंगों में रोशनी के टूटते-बिखरते ख़्वाब : नासिर&#2366

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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش. श्रेष्ठ साहित्य आम आदमी तक पहुंचाना ही युग-विमर्श का लक्ष्य है जिसमें आप भी शरीक हैं। आपका सहयोग, आपके सुझाव, आपकी जिज्ञासाएं हमारे लिए महत्वपूर्ण है. Wednesday, July 13, 2011. सियासत की अंधी सुरंगों में रोशनी के टूटते-बिखरते ख़्वाब : नासिरा शर्मा की कहानियाँ [3]. सियासत की अंधी सुरंगों में रोशनी के टूटते-बिखरते ख़्वाब. क्यों हमें मध्ययुगीन अंधेरे में ढकेल रहे हो? 8221; ताहिर ये ख़बर सुनकर सन्न रह गये । “कमाल है! किताब घर , दिल्ली 1994. Subscribe to: Post Comments (Atom).

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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: December 2009

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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: June 2010

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साहित्‍य सुगंध

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ГЭГЭЭН ЖИМ

Хайр сэтгэл хаалга тогшив. View my complete profile. Эзгүй сүмийн тууринд хэдэн шувуу зүүрмэглэж. Эртний гашуун явдлын " хий-ор"-т нэвтэрхүй. Арц хүжис, хонх дамар, тарни түгэх савслагыг. Агаар урах чимээ, харь аялга таслав. Итгэл цолгорч ариуссан олон Монгол хуврагууд. Эсэргүүт цагын харгислалыг хэрхэн өршөөн гэтлэснийг. Элгэндээ мэдэрсэн шувуу , гэнэт тэнгэр болоод. Эрдмийн дээд сэтгэлтнүүдийг нарны цаанаас үзэв ээ. Бусдын төлөөх ариун шаналал, тунгалаг нулимс халагдахад. Эх нутгийг минь санагдуулам.

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