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प्रतीक माहेश्वरी: May 2015
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प्रतीक माहेश्वरी. स्वागत है मेरी सोच की दुनिया में. नया क्या? शनिवार, 30 मई 2015. खामोश राहें. कितनी खूबसूरत अनुभूति है ये खामोशी। दिन-ब-दिन बढ़ते शोरगुल और मचलती दुनिया में खामोशी अपना एक अलग स्थान रखती है।. क्या ऐसा नहीं लगता कि आप अपने घर के छत पर खड़े हो कर शहर के सन्नाटे को सुनने के बजाय देख सकें? पुराने गीतों में 'ऐ दिल-ए-नादान'. आह क्या दिन थे! प्रतीक माहेश्वरी. कैसा लगा? 1 टिप्पणी:. Links to this post. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. नई पोस्ट. Lyrics In H...
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प्रतीक माहेश्वरी: June 2014
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प्रतीक माहेश्वरी. स्वागत है मेरी सोच की दुनिया में. नया क्या? बुधवार, 18 जून 2014. आँखों देखी (फिल्म). ऐसा कब होता है जब आप एक भ्रामक अवस्था में धकेले जाते हों और वहीँ पर रह जाना चाहते हो? मेरे साथ तो ये तब होता है जब मैं वो फिल्में. देखता हूँ जो असलियत को आपके चेहरे पर दे मारती है।. वैसी ही एक कला-फिल्म, "आँखों देखी". साभार: विकिपीडिया. पर एक सिद्धांत यह भी है कि मनुष्य का मन इतना भीरु और डरपोक है. को उठा लीजिये, इन फिल्मों के किरदार. है, जो असत्य. उसे ज़्यादातर ऐसी ही...कैसा लगा? Links to this post.
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प्रतीक माहेश्वरी: March 2014
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प्रतीक माहेश्वरी. स्वागत है मेरी सोच की दुनिया में. नया क्या? रविवार, 30 मार्च 2014. हो रहा महिला सशक्तिकरण! अनिता और पूनम. अख़बार, टीवी, ब्लॉग, फेसबुक, हर जगह कोई न कोई अपने मन की भड़ास उढ़ेल रहा था।. चित्र: साभार गूगल बाबा. प्रतीक माहेश्वरी. कैसा लगा? 3 टिप्पणियां:. Links to this post. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लघु कथा. मंगलवार, 4 मार्च 2014. कुत्ता गोष्ठी. कुत्तों की गोष्ठी. रहे हैं।. और बोला, "वाह कुतî...पहला कुत&...इतने...
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प्रतीक माहेश्वरी: December 2014
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प्रतीक माहेश्वरी. स्वागत है मेरी सोच की दुनिया में. नया क्या? सोमवार, 29 दिसंबर 2014. कैसे चंद लफ़्ज़ों में सारा प्यार लिखूँ (समीक्षा). दिनेश गुप्ता 'दिन'. जी का मेल मिला कि उनकी नयी कविता संग्रह, "कैसे चंद लफ़्ज़ों में सारा प्यार लिखूँ". और 'जो कुछ भी था दरमियाँ'. मेरी आँखों में जिसका अक्स है, मुझसे कितना दूर वो शख्स है'. आज के दौर के प्यार को कुछ इन शब्दों में बयां कर रहे हैं 'दिन':. इतनी बुलंदी पर आ पहुँचे कि हर अपना छूट गया,. मुझे पूर्ण विश्वास है कि ...Web: http:/ dineshguptadin.in/. Links to this post.
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प्रतीक माहेश्वरी: December 2013
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प्रतीक माहेश्वरी. स्वागत है मेरी सोच की दुनिया में. नया क्या? शुक्रवार, 27 दिसंबर 2013. कैसे कैसे गीत (भ्रष्ट गीत). तो हम सब गाते हैं। कुछ स्नानागार में. कुछ सभागार में. कुछ कारागार में. कुछ आगार (बस डिपो). और भी न जाने कहाँ-कहाँ। गाना सबको आता है. यह तो कुदरती है। पर जनाब. किसी को बोलिए कि दो पंक्ति सुना दे और वो नये नवेले दुल्हे की तरह शरमा. जाता है. और अपनी आवाज़ से सहयात्रियों को. 2404; पूरे सफर में किरकिरी तो तब होती है जब. वाहियात. बेसुरा. बेसिरपैरा गाना लीक. टुनटुने को! वो दिनभर ऐसí...मीड...
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प्रतीक माहेश्वरी: August 2014
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प्रतीक माहेश्वरी. स्वागत है मेरी सोच की दुनिया में. नया क्या? रविवार, 17 अगस्त 2014. दर दर गंगे (किताब समीक्षा). आज बात करेंगे " दर दर गंगे. की। यह किताब मैंने खरीदी नहीं थी पर मुझे भेंट स्वरुप प्राप्त हुई। दरअसल फेसबुक पर गुरुप्रसाद. जी ने एक अच्छी सोच के तहत यह. तो इसी सोच के तहत अमित व्रज. जी ने भी दर दर गंगे. दर दर गंगे. और पंकज रामेन्दु. गंगा की ' दशा, दुर्दशा और नक्शा. हर हर गंगे. तो कभी "लोग ऐसा कैसे कर सकते हैं? दर दर गंगे. नगरों को इस सफ़र का हिस्सा बन...गया है।. दर दर गंगे. हर जगह की अप...
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प्रतीक माहेश्वरी: November 2014
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प्रतीक माहेश्वरी. स्वागत है मेरी सोच की दुनिया में. नया क्या? गुरुवार, 6 नवंबर 2014. मसाला चाय Terms and Conditions Apply किताब समीक्षा. दिव्य प्रकाश दुबे". एक ऐसा नाम है जो नए प्रभावशाली युवा हिन्दी लेखकों में अपना नाम शुमार करवा चुके हैं। इनकी दो किताबें, "मसाला चाय". और "Terms and Conditions Apply". कर चुकी हैं। तो पाठक अभिविन्यस्त (oriented) दृष्टि से देखें तो यह एक बढ़िया प...इस बात पर भी ज़ोर देना चाहूँगा कि ये दोनोæ...संपूर्णतः कहूँ, तो मुझí...कैसा लगा? Links to this post. सामं...
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प्रतीक माहेश्वरी: July 2014
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प्रतीक माहेश्वरी. स्वागत है मेरी सोच की दुनिया में. नया क्या? गुरुवार, 24 जुलाई 2014. सस्ती जान. राकेश और मोहित. पक्के दोस्त. स्कूल में ११वीं में एक साथ थे. वैसे तो दोनों मध्यमवर्गीय परिवार से थे पर युवावस्था में आ कर सभी शौकीन हो जाते हैं. क्योंकि ये समय ही होता है बेपरवाह उड़ने का. शहर में भी यही नियम था. घर से निकलते वक़्त तो दोनों हेलमेट पहने हुए निकलते पर अगले ही नुक्कड़ पर पीछे ब...चालान कटने का डर लगता है. साभार: गूगल. प्रतीक माहेश्वरी. कैसा लगा? 8 टिप्पणियां:. Links to this post. ब्लí...
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प्रतीक माहेश्वरी: October 2016
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प्रतीक माहेश्वरी. स्वागत है मेरी सोच की दुनिया में. नया क्या? रविवार, 9 अक्तूबर 2016. सब धंधा है! भईया, हमारी मानो तो सब बिजनस है. भौतिकवादिता का उड़ता तीर. आजकल तो अंतरजालीय संचार माध्यम (असमा). सब धन में मगन हैं. न चैन, न अमन है. खरीदना सबको गगन है. बस एक अविरल अगन है. सब धन में मगन हैं. अरे महाशय, जब सैनिकों की अर्थियों की भी लोग दूकान खोल लें. अगर अभी तक आप इस लपेटे में नहीं आएँ हैं तो जल्द ही आएँगे और अगर बचन...ये बिजनस की बिमारी इसी यंत्र स...ये बिमारी आपको कí...पर इस यंत्र क&#...सदस्...