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मेरा साहित्य: January 2012
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मेरा साहित्य. जीवन की अनुभूतियों और चिन्तन का दर्पण. Friday, 27 January 2012. बादलों की धुंध में. बादलों की धुंध में. सूरज मुस्काये. खोल किवाड़ हौले से. वो धरा पर आये. गुनगुनी धूप दे. स्वेटर सा आराम. अब तो भैया मस्ती में हो. अपने सारे काम. बांध गठरिया आलस भागे. ट्रेन -टिकट कटाए. बादलों की धुंध में. सूरज मुस्काये. पतंगों के पेंच लड़े. और लड़े नैन. दिन में जोश भरा रहा. खामोश रही रैन. सुनहरी धूप में. मन- चिड़िया नहाये. बादलों की धुंध में. सूरज मुस्काये. सोया सोया गाँव. किरणें. Friday, January 27, 2012.
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लम्हों का सफ़र: 492. दुःखहरणी...
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लम्हों का सफ़र. मन की अभिव्यक्ति का सफ़र. Wednesday 1 April 2015. 492 दुःखहरणी. दुःखहरणी. जीवन के तार को साधते-साधते. मन रूपी अंगुलियाँ छिल गई हैं. जहाँ से रिसता हुआ रक्त. बूँद-बूँद धरती में समा रहा है,. मेरी सारी वेदनाएँ सोख कर धरती. मुझे पुनर्जीवन का रहस्य बताती है. हार कर जीतने का मंत्र सुनाती है,. जानती हूँ. संभावनाएँ मिट चुकी है. सारे तर्क व्यर्थ ठहराए जा चुके हैं. पर कहीं न कहीं. जीवन का कोई सिरा. जो धरती के गर्भ में समाया हुआ है. यह धरती मुझे झकझोर देती है. जीवन प्रवाहमय रहे. April 02, 2015 8:14 PM.
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मेरा साहित्य: May 2015
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मेरा साहित्य. जीवन की अनुभूतियों और चिन्तन का दर्पण. Friday, 22 May 2015. सुंदरी मछली. सुंदरी मछली. सुंदरी मछली की सहेलियां (आप जितनी चाहे रख सकती हैं ). जलतू मछली. रोमा मछली ,. सोना मछली (जलतू मछली की सहेलियां )आप और भी सहेलियां ले सकती हैं. डॉक्टर मछली. सुंदरी मछली नदी में एक पत्थर पर बैठी पढ़ रही है उसके साथ उसकी सहेलियां. मछली १ "अरे सुंदरी क्या पढ़ रही हो". मछली २ "हमें भी सुनाओ". सुंदरी "मै शेर की कहानी पढ़ रही हूँ ". यहाँ गाना होता है लिखोगे...मेरा साहित्य. Friday, May 22, 2015. Links to this post.
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बचपन के गलियारे: बाल संस्मरण की 19 वीं कड़ी
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बचपन के गलियारे. नये वर्ष की नई अभिलाषा - -. बचपन के इन्द्र धनुषी रंगों में भीगे मासूम बच्चे भी इस ब्लॉग को पढ़ें - - - - - - - -. प्यारे बच्चो. उसमें तुम्हारे प्यार और भोलेपन की खुशबू होगी - - - - - -I. सुधा भार्गव. Subharga@gmail.com(e.mail करने का पता). Baalshilp.blogspot.com(बचपन के गलियारे. Sudhashilp.blogspot.com( तूलिका सदन में साहित्य की अनेक विधायें). Baalkunj.blogspot.com(बच्चों की कहानियां). रविवार, 15 मार्च 2015. बाल संस्मरण की 19 वीं कड़ी. जब मैं छोटी थी. बेटा तुम्ह...जग्गी, ध&...उसकी...
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बचपन के गलियारे: January 2014
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बचपन के गलियारे. नये वर्ष की नई अभिलाषा - -. बचपन के इन्द्र धनुषी रंगों में भीगे मासूम बच्चे भी इस ब्लॉग को पढ़ें - - - - - - - -. प्यारे बच्चो. उसमें तुम्हारे प्यार और भोलेपन की खुशबू होगी - - - - - -I. सुधा भार्गव. Subharga@gmail.com(e.mail करने का पता). Baalshilp.blogspot.com(बचपन के गलियारे. Sudhashilp.blogspot.com( तूलिका सदन में साहित्य की अनेक विधायें). Baalkunj.blogspot.com(बच्चों की कहानियां). शनिवार, 4 जनवरी 2014. 2014-नववर्ष ,तुम्हारा स्वागत. नए साल का उपहार. सुधा भार्गव. उसकी निग&#...फोन...
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पंजाबी लघुकथा: May 2014
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हिंदी साहित्य-जगत को पंजाबी लघुकथा के विभिन्न पक्षों से रूबरू करवाने का प्रयास- - - - - - - -. Sunday, 25 May 2014. गरीब की जाई. प्रीत नीतपुर. ससुराल से पहली बार. इतनी जल्दी, इतना कुछ कैसे बदल गया? वह बुड़बुड़ाई। वास्तव में तो कुछ भी नहीं बदला था, बस उसका भ्रम ही था।. बेटी भुच्चो, ठीक है…? अब मैं भुच्चो नहीं, भूपिंदर कौर हूँ…भूपिंदर कौर…।’. हाँ ताऊ, मैं ठीक हूँ।. कहकर वह अपने पति के नज़दीक होती बोली,. बच्चों के लिए कोई चीज ले लें।. हां, ले ले।. फिर कितने लें…? हाय रब्बा! भुच्चो को...Thursday, 15 May 2014.
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त्रिवेणी: सेदोका
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त्रिवेणी. ताँका-चोका- सेदोका -माहिया-हाइबन. त्रिवेणी के बारे में. ताँका. सेदोका. वैधानिक सूचना एवं चेतावनी. सेदोका. जापान में. आठवीं शताब्दी में. सेदोका. Katauta – KAH-TAH-OU-TAH ). कहा जाता था । ये 2 आधी -अधूरी कविताएँ मिलकर एक सेदोका बनती थी ।. डॉ हरदीप सन्धु -रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’. Subscribe to: Posts (Atom). त्रिवेणी का संचालन- समन्वयन. डॉ. हरदीप कौर सन्धु. रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'. आपके विचार. 1- सेदोका -प्रकाशन का क्रम. 1-आवश्यक सूचना. अनिता मण्डा. अनिता ललित. आत्मीय क्षण. सविता ...सीम...
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अंदाज़े ग़ाफ़िल: November 2015
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कुछ अधूरा सा. कुण्डलियां. क्षणिकाएँ. रुबाइयाँ. शब्बाख़ैर! शुभकामना. सुप्रभात! हास्य-व्यंग्य. ग़फ़लतों की दुनिया. Kd10 से यूनिकोड. बेसुरम्. फ़ेसबुक पर अनुसरण करें-. चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’. मेरे बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ. क्लिक करें. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. रविवार, नवंबर 29, 2015. लगे क्यूँ मगर हम अकेले बहुत हैं. अगर देखिएगा तो चेहरे बहुत हैं. लगे क्यूँ मगर हम अकेले बहुत हैं. चलो इश्क़ की राह में चलके हमको. ये माना के है ख़ूबसूरत जवानी. मुसाफ़ात=दोस्ती. 8216;ग़ाफ़िल’. 1 टिप्पणी:. चन्द्र भ...इसे...
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लम्हों का सफ़र: 493. सरल गाँव (गाँव पर 10 हाइकु)
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लम्हों का सफ़र. मन की अभिव्यक्ति का सफ़र. Saturday 4 April 2015. 493 सरल गाँव (गाँव पर 10 हाइकु). सरल गाँव (गाँव पर 10 हाइकु). जीवन त्वरा. बची है परम्परा,. सरल गाँव. घूँघट खुला,. मनिहार जो लाया. हरी चूड़ियाँ! भोर की वेला. बनिहारी को चला. खेत का साथी! पनिहारिन. मन की बतियाती. पोखर सुने! दुआ-नमस्ते. गाँव अपने रस्ते. साँझ को मिले! खेतों ने ओढ़ी. हरी-हरी ओढ़नी. वो इठलाए! असोरा ताके. कब लौटे गृहस्थ. थक हारके! महुआ झरे. चुपचाप से पड़े,. सब विदेश! खंड-खंड टूटता. ग़रीब गाँव! बाछी रम्भाए. April 05, 2015 8:05 AM.
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