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सहज साहित्य. Sunday, August 16, 2015. मन -देहरी. 1-कमला निखुर्पा. जब भी बिखरा. बाहर नीम अन्धेरा।. नेह से भरा. मेरे नैनों का दिया।. जल उठी फिर से. तेरी यादों की बाती. मन -देहरी।. रा मेश्वर काम्बोज. हिनांशु. तेरी मुस्कान ने सींचा. जीवन का हर उजेरा. कि हारकर मुँह छुपा भागा. घेरे था जो अँधेरा ।. मन को जब-जब तुमने छुआ. हर छुअन बन गई दुआ।. यादें तेरी आरती के. दीपक- सी. जलती रहीं,. सँजोकर तुम्हें प्राण -सी. युगों तक पलती रहीं।. पावन उर में क्या. जब-जब गंगा नहाना था. आ गया ।. सहज साहित्य. Links to this post.

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सहज साहित्य: July 2014

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Sunday, July 27, 2014. अनुभवों का ताप. सुभाष लखेड़ा. 1 - सृजन. जब बर्दाश्त न हुआ. उनसे गरीबों का दर्द. उन्होंने कलम चलाई. कुछ ही देर में. वह कविता बनाई. जो आज कहीं छपी है. वे बहुत खुश हैं. गरीबी की. आँ च पर. उनकी पहली रोटी पकी है ।. 2- देर से ही सही. अचानक आज न जाने क्यों. मैं अपने बारे में सोचने लगा. वर्षों तक मैं अपने को छोड़. शेष लोगों के बारे में सोचता रहा. मुझे सभी में कमि. याँ न. ज़ र आती रहीं. मैंने उनके लिए कड़वी बातें कहीं. मुझे उनमें. स्वार्थ नज़र आता था. अगर कभी कुछ दिया. खुशी है. अब उसे यह. मन म&#...

2

सहज साहित्य: June 2014

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Thursday, June 26, 2014. कुछ कविताएँ. पुष्पा मेहरा. करौंदे की झाड़ी के इर्द-गिर्द. लगी गुलाब की बाड़ से. मैंने - हँसते गुलाब की. एक टहनी तोड़ ली. उसने हँसते हुए अपना काँटा. मेरी उँगली में चुभा दिया. मैं दर्द से कराहती रही. पर देखो तो ज़रा. गुलाब है कि वह हँसता ही रहा ।. सूनी गलियाँ-. आज शोर भरी हैं. ऊँघती हवाएँ. भी जाग उठी हैं. सब तरफ़ सनसनी छाई है. कहीं कुछ तो घटा है! कौन कहता है! दीवार खड़ी करने से. पानी की धाराएँ रुक जाती हैं. वक्त ख़ामोश था. बेख़ौफ़ था. साथ चलता रहा. हसीन पलों को. छलता रहा ।. मन के मथ&#...

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सहज साहित्य: April 2015

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Tuesday, April 28, 2015. चढ़तीं–उतरतीं वेदनाएँ. रमेश गौतम. जैसी हैं. किसानों की कथाएँ ।. चार बीघा खेत. उल्कापात. है खुले आकाश में. अस्तित्व की पूरी कहानी. अन्नदाता की हथेली. हैं यथावत् आपदाएँ ।. क्या करें मौसम हठीला. रंगदारी माँगता है. खंज़रों की नोक पर. फसलें सुनहरी टाँगता है. लूट कर सारा खजाना. ले गइ निर्मम हवाएँ ।. अब व्यथा इनकी कहें क्या. रह गए हैं प्राण आधे. रजवाड़े सभी. बैठें हुए हैं मौन साधे. दफ्तरों की सीढि़याँ. चढ़तीं. उतरतीं वेदनाएँ ।. क्षतिपूर्ति का अब. धन योजनाएँ ।. फिर यहाँ. Links to this post.

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सहज साहित्य: December 2014

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Tuesday, December 30, 2014. तीन कविताएँ : तीन रंग. 1- बच्चे दिन. मंजु मिश्रा. लम्बी रातें. छोटे दिन. सहमे सिकुड़े बच्चे दिन. सवेरे सूरज लाता. मफलर लाल लपेटे दिन. भोर हुए ही. सिगड़ी जलती. चाय बिना नहीं कटते दिन. लुक्का. छिप्पी. मिचौनी. धूप खेलती. सारा दिन. कभी नरम तो कभी गरम. फिर हौले. हौले होते दिन. घुसे रजाई. कम्बल में. मूँ गफली. से छिलते दिन. लम्बी रातें. छोटे दिन. सिकुड़े. बच्चे दिन. मैंने. माँगा. खुशियाँ. बाँटना. अँ जुरी. वर्षों. निभाया. तुम्हारा. 3- दर्द खामोश. दर्द खामोश. सी आहें. पल भर में. एक म&#236...

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सहज साहित्य: November 2014

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Saturday, November 29, 2014. मन की बात. ऐसा क्यों. सीमा स्मृति. सुन्न पड़ गए। ये क्या है. स्कूल में पानी की बोतल में पैट्रोल डाल कर ले गया । कसूर किस का है. माँ, बाप. हमारा एजूकेश. न सिस्टम और समाज. कौन है इस घटना का जिम्मेदार. प्रश्नों का एक सैलाब हिला गया। हम बच्चों को क्या शिक्षा दे रहे हैं. आसान है एक. 8211; दूसरे पर दोष. मढ़ ना ।. ह जीवन को खत्म करना चाहता है. सा दबाव होगा जो उस इस हद तक सोचने को मजबूर करे. हमारे समाज में. ड्ढे नहीं देख पा रहे हैं. बार उस बालमन की स्थि. मोबाइल है. कभी सोच...जन्...

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मेरा साहित्य: January 2012

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मेरा साहित्य. जीवन की अनुभूतियों और चिन्तन का दर्पण. Friday, 27 January 2012. बादलों की धुंध में. बादलों की धुंध में. सूरज मुस्काये. खोल किवाड़ हौले से. वो धरा पर आये. गुनगुनी धूप दे. स्वेटर सा आराम. अब तो भैया मस्ती में हो. अपने सारे काम. बांध गठरिया आलस भागे. ट्रेन -टिकट कटाए. बादलों की धुंध में. सूरज मुस्काये. पतंगों के पेंच लड़े. और लड़े नैन. दिन में जोश भरा रहा. खामोश रही रैन. सुनहरी धूप में. मन- चिड़िया नहाये. बादलों की धुंध में. सूरज मुस्काये. सोया सोया गाँव. किरणें. Friday, January 27, 2012.

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लम्हों का सफ़र: 492. दुःखहरणी...

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लम्हों का सफ़र. मन की अभिव्यक्ति का सफ़र. Wednesday 1 April 2015. 492 दुःखहरणी. दुःखहरणी. जीवन के तार को साधते-साधते. मन रूपी अंगुलियाँ छिल गई हैं. जहाँ से रिसता हुआ रक्त. बूँद-बूँद धरती में समा रहा है,. मेरी सारी वेदनाएँ सोख कर धरती. मुझे पुनर्जीवन का रहस्य बताती है. हार कर जीतने का मंत्र सुनाती है,. जानती हूँ. संभावनाएँ मिट चुकी है. सारे तर्क व्यर्थ ठहराए जा चुके हैं. पर कहीं न कहीं. जीवन का कोई सिरा. जो धरती के गर्भ में समाया हुआ है. यह धरती मुझे झकझोर देती है. जीवन प्रवाहमय रहे. April 02, 2015 8:14 PM.

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मेरा साहित्य: May 2015

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मेरा साहित्य. जीवन की अनुभूतियों और चिन्तन का दर्पण. Friday, 22 May 2015. सुंदरी मछली. सुंदरी मछली. सुंदरी मछली की सहेलियां (आप जितनी चाहे रख सकती हैं ). जलतू मछली. रोमा मछली ,. सोना मछली (जलतू मछली की सहेलियां )आप और भी सहेलियां ले सकती हैं. डॉक्टर मछली. सुंदरी मछली नदी में एक पत्थर पर बैठी पढ़ रही है उसके साथ उसकी सहेलियां. मछली १ "अरे सुंदरी क्या पढ़ रही हो". मछली २ "हमें भी सुनाओ". सुंदरी "मै शेर की कहानी पढ़ रही हूँ ". यहाँ गाना होता है लिखोगे...मेरा साहित्य. Friday, May 22, 2015. Links to this post.

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बचपन के गलियारे: बाल संस्मरण की 19 वीं कड़ी

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बचपन के गलियारे. नये वर्ष की नई अभिलाषा - -. बचपन के इन्द्र धनुषी रंगों में भीगे मासूम बच्चे भी इस ब्लॉग को पढ़ें - - - - - - - -. प्यारे बच्चो. उसमें तुम्हारे प्यार और भोलेपन की खुशबू होगी - - - - - -I. सुधा भार्गव. Subharga@gmail.com(e.mail करने का पता). Baalshilp.blogspot.com(बचपन के गलियारे. Sudhashilp.blogspot.com( तूलिका सदन में साहित्य की अनेक विधायें). Baalkunj.blogspot.com(बच्चों की कहानियां). रविवार, 15 मार्च 2015. बाल संस्मरण की 19 वीं कड़ी. जब मैं छोटी थी. बेटा तुम्ह&#23...जग्गी, ध&...उसक&#2368...

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बचपन के गलियारे: January 2014

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पंजाबी लघुकथा: May 2014

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हिंदी साहित्य-जगत को पंजाबी लघुकथा के विभिन्न पक्षों से रूबरू करवाने का प्रयास- - - - - - - -. Sunday, 25 May 2014. गरीब की जाई. प्रीत नीतपुर. ससुराल से पहली बार. इतनी जल्दी, इतना कुछ कैसे बदल गया? वह बुड़बुड़ाई। वास्तव में तो कुछ भी नहीं बदला था, बस उसका भ्रम ही था।. बेटी भुच्चो, ठीक है…? अब मैं भुच्चो नहीं, भूपिंदर कौर हूँ…भूपिंदर कौर…।’. हाँ ताऊ, मैं ठीक हूँ।. कहकर वह अपने पति के नज़दीक होती बोली,. बच्चों के लिए कोई चीज ले लें।. हां, ले ले।. फिर कितने लें…? हाय रब्बा! भुच्चो को...Thursday, 15 May 2014.

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त्रिवेणी: सेदोका

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त्रिवेणी. ताँका-चोका- सेदोका -माहिया-हाइबन. त्रिवेणी के बारे में. ताँका. सेदोका. वैधानिक सूचना एवं चेतावनी. सेदोका. जापान में. आठवीं शताब्दी में. सेदोका. Katauta – KAH-TAH-OU-TAH ). कहा जाता था । ये 2 आधी -अधूरी कविताएँ मिलकर एक सेदोका बनती थी ।. डॉ हरदीप सन्धु -रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’. Subscribe to: Posts (Atom). त्रिवेणी का संचालन- समन्वयन. डॉ. हरदीप कौर सन्धु. रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'. आपके विचार. 1- सेदोका -प्रकाशन का क्रम. 1-आवश्यक सूचना. अनिता मण्डा. अनिता ललित. आत्मीय क्षण. सविता ...सीम...

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अंदाज़े ग़ाफ़िल: November 2015

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कुछ अधूरा सा. कुण्डलियां. क्षणिकाएँ. रुबाइयाँ. शब्बाख़ैर! शुभकामना. सुप्रभात! हास्य-व्यंग्य. ग़फ़लतों की दुनिया. Kd10 से यूनिकोड. बेसुरम्. फ़ेसबुक पर अनुसरण करें-. चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’. मेरे बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ. क्लिक करें. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. रविवार, नवंबर 29, 2015. लगे क्यूँ मगर हम अकेले बहुत हैं. अगर देखिएगा तो चेहरे बहुत हैं. लगे क्यूँ मगर हम अकेले बहुत हैं. चलो इश्क़ की राह में चलके हमको. ये माना के है ख़ूबसूरत जवानी. मुसाफ़ात=दोस्‍ती. 8216;ग़ाफ़िल’. 1 टिप्पणी:. चन्द्र भ...इसे...

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लम्हों का सफ़र: 493. सरल गाँव (गाँव पर 10 हाइकु)

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लम्हों का सफ़र. मन की अभिव्यक्ति का सफ़र. Saturday 4 April 2015. 493 सरल गाँव (गाँव पर 10 हाइकु). सरल गाँव (गाँव पर 10 हाइकु). जीवन त्वरा. बची है परम्परा,. सरल गाँव. घूँघट खुला,. मनिहार जो लाया. हरी चूड़ियाँ! भोर की वेला. बनिहारी को चला. खेत का साथी! पनिहारिन. मन की बतियाती. पोखर सुने! दुआ-नमस्ते. गाँव अपने रस्ते. साँझ को मिले! खेतों ने ओढ़ी. हरी-हरी ओढ़नी. वो इठलाए! असोरा ताके. कब लौटे गृहस्थ. थक हारके! महुआ झरे. चुपचाप से पड़े,. सब विदेश! खंड-खंड टूटता. ग़रीब गाँव! बाछी रम्भाए. April 05, 2015 8:05 AM.

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Quinta-feira, 13 de março de 2008. Eu te amo muito eu nuca vou. Ta meu amor ta. Vc ñ vai nais discutir comigo ta meu amor operasan vida loka %$ $ 157 ahahahahahahahahahahahaha { { { ` ` ` ` ´´´´´´´´´/ / / /* * *¨¨¨%# #. Visualizar meu perfil completo.

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TENHO 31 ANOS SOU CASADA A 18 ANOS, MEU ESPOSO SE CHAMA RAFAEL ,TENHO UM CASAL DE FILHOS, RAFAEL COM 9 ANOS,E EVELYN COM 13. SOU MUITO FELIZ.SRSRS. Visualizar meu perfil completo. Quarta-feira, 27 de outubro de 2010. Quinta-feira, 7 de outubro de 2010. Amigas montei esse colar com ajuda de uma amiga! Terça-feira, 21 de setembro de 2010. Http:/ www.youtube.com/watch? Amigas montei esse colar com ajuda de uma amiga! Modelo Travel. Tecnologia do Blogger.

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