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गुलमोहर: October 2012
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राजेश उत्साही. गुल्लक. यायावरी. सोमवार, 1 अक्तूबर 2012. गांधी का रास्ता. राजेश उत्साही. पहले हमने गांधी को पढ़ा. फिर हमने गांधी को गढ़ा. पहले हमने गांधी को मार दिया. फिर हमने गांधी को याद किया. गांधी जी कहते थे. तुम दुनिया में जैसा बदलाव देखना चाहते हो,. पहले वैसा बदलाव स्वयं में लाओ।. हम सब वही कर रहे हैं,जैसी दुनिया बनाना चाहते हैं. वैसे ही अपने को बदल रहे हैं।. हम गांधी के बताए रास्ते पर ही तो चल रहे हैं।. 0राजेश उत्साही. प्रस्तुतकर्ता. राजेश उत्साही. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. मन , एक बदमा...
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गुलमोहर: December 2013
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राजेश उत्साही. गुल्लक. यायावरी. गुरुवार, 12 दिसंबर 2013. परिचित-अपरिचित. जगहों में. लोग अपरिचितों की तरह बरतते हैं. टकराते हैं. जगहों पर. तो परिचितों की तरह मिलते हैं।. 0 राजेश उत्साही. प्रस्तुतकर्ता. राजेश उत्साही. 3 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: परिचित-अपरिचित. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). गुलमोहर के बहाने. मेरा पहला कविता संग्रह. थोड़ा-बहुत. यायावरी'. गुल्लक'. डॉ उर...
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कथायात्रा: April 2009
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कथायात्रा. बलराम अग्रवाल की कथा-रचनाएँ. मंगलवार, अप्रैल 28, 2009. बदलेराम/बलराम अग्रवाल. चड़-भरे गड्ढों. के जाल के कारण कार को और-आगे लेजाना सम्भव नहीं था। गाँव से करीब दो किलोमीटर पहले ही ड्राइवर को कार के साथ. छोड़कर मैं और बदलेराम अन्य कार्यकर्ताओं के साथ पैदल ही उस ओर चल दिए।. सुनो, इस गाँव की मुख्य-समस्या क्या है? सबसे आगे चल रहा बदलेराम सवाल सुनकर एकाएक रुक गया। मेरी ओर वापस घूमकर बोला,. बिना बिजली के कैसे चलेगा वह? यह भी।. वह दो-टूक बोला।. क्…क्…कौन बदलेराम? वही…जिस साले...तुम सब भी...छत पर बच&...
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कथायात्रा: February 2011
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कथायात्रा. बलराम अग्रवाल की कथा-रचनाएँ. सोमवार, फ़रवरी 28, 2011. खनक/बलराम अग्रवाल. चित्र:आदित्य अग्रवाल. बत्ती बुझाकर जैसे ही वह बिस्तर पर लेटता. उसे घुँघरुओं के खनकने की आवाज सुनाई देने लगती। महीनों से यह सिलसिला चल रहा था। शुरू-शुरू में तो उस आवाज को उसने मन का वहम ही माना. लेकिन बाद में. घुँघरुओं की आवाज हर रात लगातार सुनाई देने लगी. तो उसने अपना ध्यान उस पर केन्द्रित करना शुरू किया। नहीं. हिम्मत करके. उसने आखिर पूछ ही लिया. कौन है. यश-लक्ष्मी! यश-लक्ष्मी! यश चाहिए. सभी की छोड़ो. बलि दी...सदस्...
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साखी: July 2010
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अभियान के साथी. शुक्रवार, 30 जुलाई 2010. अरुणा राय की कविताएं. अरुणा राय. सम्प्रति शासकीय सेवा में कार्यरत हैं ।. अरुणा राय की कुछ रचनायें प्रस्तुत हैं. हाँ जी, इन दिनों हम. में हैं. अब यह मत पूछिएगा कि. हवाओं के, चांदनी के या. रेत के. बस प्यार है और हम. लिखते चल. रहे हैं कोई नाम. जहाँ-तहाँ और उसके आजू. लिख दे रहे हैं पवित्र. मासूम निर्दोष. और यह सोचते हैं कि ये. उसे ज़ाहिर कर देंगे या. ढंक लेंगे. आजकल कभी भी खटखटा देते. एक दूसरे का हृदय. और हड़बड़ाए से कह. बैठते हैं. जाते हैं. था नंबर. मुक्त...फिर...
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कथायात्रा: June 2010
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कथायात्रा. बलराम अग्रवाल की कथा-रचनाएँ. बुधवार, जून 09, 2010. निवारण/बलराम अग्रवाल. राजनीतिक-. श का दौर था। संकट-निवारण के उद्देश्य से पिता ने हवन का आयोजन किया। उसमें अपने कुल-दे. ता की प्रतिमा को उसने हवन-स्थल पर स्थापित किया। और, प्रतिमा के एकदम बाईं ओर उसके बेटों ने ए. क विचित्र-सा मॉडल लाकर रख दिया।. यह क्या है? पिता ने पूछा।. बचपन में सं. गठन के महत्व को समझाने के लिए आपने एक बार लकड़ियों. के एक गट्ठर का प्रयोग किया था पिताजी।. बड़े पुत्र ने उसे बताया,. को अपना लिया।. अंत में मæ...कुछ ब...
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सुमरनी: October 2012
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स्मृतियों का संग्रहालय. Thursday, October 18, 2012. कतरा कतरा जिंदगी लगे. कतरा कतरा जिंदगी लगे. दर्द की तन्हा नदी लगे. मेहमान बनके आई है खुशी. और उधार की हंसी लगे. अपने से लगें ये अंधेरे. क्यों पराई रोशनी लगे. ढह गए यकीन के किले. दिलफरेब आशिकी लगे. है वही जमीन ओ आस्मां. बदला बदला आदमी लगे. झूठ और गवाह पर टिका. इंसाफ भी तेरा ठगी लगे. पीछा करना भी ख्वाब का. क्यों उन्हें आवारगी लगे. सहमा सहमा सा है ये समा. और उदास चांदनी लगे. तेरी रहनुमाई भी कमाल. रहबरी भी राहजनी लगे. Subscribe to: Posts (Atom). जरी ...
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सुमरनी: July 2012
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स्मृतियों का संग्रहालय. Friday, July 13, 2012. उजड़े गांवों का राग - तीन. विस्थापन की दुनिया. नया धांईं. नये धांई की सच्चाई. सविता की मां लक्ष्मी बाई. राजेश की चार साल की बिटिया रवीना. Labels: गांव. Subscribe to: Posts (Atom). View my complete profile. सुमरन कर ले खूब. धरती और आकाश का,. सुमरन कर ले खूब,. रात सुमरनी चांदनी,. सुबह सुमरनी धूप. पहर, घड़ी, घंटे, दिना,. सुमरे महीना,साल,. सुमर कि ज्यों मेहंदी करे. हाथ-हथेली लाल. हंसी सुमर, आंसू सुमर,. खूब सुमर मुस्कान,. जब तक बरसें बदरवा,. नया साल. आनंद ...
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सुमरनी: February 2013
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स्मृतियों का संग्रहालय. Sunday, February 10, 2013. यारब तराना हराम कैसे. कश्मीर में गीत-संगीत के खिलाफ एक मुफ्ती के फतवे का विरोध. और लड़कियों के प्रगाश बैंड के समर्थन में खुदा के बंदों से सवाल. गाना बजाना हराम कैसे. यारब तराना हराम कैसे. दिल को मेरे सुकून आए. तो गुनगुनाना हराम कैसे. दिल दुखाना गुनाह बेशक. पर गीत गाना हराम कैसे. कव्वाली, ठुमरी, राई, राक. ये सब खजाना हराम कैसे. मौसि़की है खुदा की नेमत. तो सुर सजाना हराम कैसे. मंजूर दिल की धड़कनें तो. ढोल बजाना हराम कैसे. Labels: ग़ज़ल. नया साल. बेक...
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कथायात्रा: February 2009
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कथायात्रा. बलराम अग्रवाल की कथा-रचनाएँ. शुक्रवार, फ़रवरी 27, 2009. यही होना है आखिरकार/बलराम अग्रवाल. मेरी तलाश आखिर कामयाब साबित हुई। मुझे पूरा यकीन था कि महाप्रलय में सब-कुछ लील जाने के बावजूद ऊपरवाले ने मेरे लिए कम से कम एक औरत जरूर बचा रखी होगी।. औरत की आँखों में आँखें डालकर वह बोला।. वह बात को बीच में ही काटकर बोली. दरअसल इंसान नहीं. और क्या. ईश्वर कल्पना नहीं यथार्थ है…।. यहाँ से लेकर दू्…ऽ…र उस छोर तक देख।. लेकिन…! कोई लेकिन-वेकिन नहीं…. देखो, इस इकलौते ठिकान...अगर बच गए तो यकीन म&#...लेक...