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मुक्ताकाश....

मुक्ताकाश. शनिवार, 8 अगस्त 2015. मेरी परलोक-चर्चाएँ. (१). प्रथम हस्तक्षेप. चाचाजी बड़े मनमौजी थे- आनंदी जीव! चित्र : पूज्य पिता के निधन के बाद शोकमग्न बैठे स्व. कृष्णचन्द्र ओझा, सन 1934 का मेरे पास उपलब्ध एकमात्र चित्र]. प्रस्तुतकर्ता. आनन्द वर्धन ओझा. कोई टिप्पणी नहीं:. रविवार, 18 जनवरी 2015. देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद पर महाकवि निराला की संभवतः अप्रकाशित कविता. संभवतः, मेरे सौभाग्य से! C/o Pandit Ramlalji garg,. Karwi, Banda (U.P.). प्रिय मुक्तजी,. अमीनाबाद, लखनऊ ।. मरण के चरण चारण! बीच राह...लेक...

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मुक्ताकाश. शनिवार, 8 अगस्त 2015. मेरी परलोक-चर्चाएँ. (१). प्रथम हस्तक्षेप. चाचाजी बड़े मनमौजी थे- आनंदी जीव! चित्र : पूज्य पिता के निधन के बाद शोकमग्न बैठे स्व. कृष्णचन्द्र ओझा, सन 1934 का मेरे पास उपलब्ध एकमात्र चित्र]. प्रस्तुतकर्ता. आनन्द वर्धन ओझा. कोई टिप्पणी नहीं:. रविवार, 18 जनवरी 2015. देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद पर महाकवि निराला की संभवतः अप्रकाशित कविता. संभवतः, मेरे सौभाग्य से! C/o Pandit Ramlalji garg,. Karwi, Banda (U.P.). प्रिय मुक्तजी,. अमीनाबाद, लखनऊ ।. मरण के चरण चारण! बीच राह...लेक...
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1 क्रमशः
2 बंधु
3 आपका
4 अविरत
5 वह जीवन भर
6 और अचानक
7 यश अपयश
8 समर्थक
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क्रमशः,बंधु,आपका,अविरत,वह जीवन भर,और अचानक,यश अपयश,समर्थक,october,the temptations,pomegranate apple jelly,kishore choudhary,उच्चारण,उफान,मन दर्पण,सरस पायस,hamarivani,blgid=2894 target= blank
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मुक्ताकाश.... | avojha.blogspot.com Reviews

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मुक्ताकाश. शनिवार, 8 अगस्त 2015. मेरी परलोक-चर्चाएँ. (१). प्रथम हस्तक्षेप. चाचाजी बड़े मनमौजी थे- आनंदी जीव! चित्र : पूज्य पिता के निधन के बाद शोकमग्न बैठे स्व. कृष्णचन्द्र ओझा, सन 1934 का मेरे पास उपलब्ध एकमात्र चित्र]. प्रस्तुतकर्ता. आनन्द वर्धन ओझा. कोई टिप्पणी नहीं:. रविवार, 18 जनवरी 2015. देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद पर महाकवि निराला की संभवतः अप्रकाशित कविता. संभवतः, मेरे सौभाग्य से! C/o Pandit Ramlalji garg,. Karwi, Banda (U.P.). प्रिय मुक्तजी,. अमीनाबाद, लखनऊ ।. मरण के चरण चारण! बीच राह...लेक...

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मुक्ताकाश....: August 2015

http://avojha.blogspot.com/2015_08_01_archive.html

मुक्ताकाश. शनिवार, 8 अगस्त 2015. मेरी परलोक-चर्चाएँ. (१). प्रथम हस्तक्षेप. चाचाजी बड़े मनमौजी थे- आनंदी जीव! चित्र : पूज्य पिता के निधन के बाद शोकमग्न बैठे स्व. कृष्णचन्द्र ओझा, सन 1934 का मेरे पास उपलब्ध एकमात्र चित्र]. प्रस्तुतकर्ता. आनन्द वर्धन ओझा. 1 टिप्पणी:. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). लिखिए अपनी भाषा में. मेरे बारे में. आनन्द वर्धन ओझा. चल पडा हूं, और चलना है मुझे! राह लम्बी है, न रुकना है मुझे! ब्लॉग आर्काइव. मेरी ब्लॉग सूची. 6 वर्ष पहले. 3 माह पहले.

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मुक्ताकाश....: July 2014

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मुक्ताकाश. बुधवार, 16 जुलाई 2014. चलता रहेगा न यह सिलसिला? पक तो गए थे तुम. तुम्हें तो गिरना ही था. जगत-वृक्ष की डाल से! तुम गिरे,. मैंने साभार झुककर तुम्हें उठाया,. धोया, स्वच्छ किया. फिर किया तुम्हारा उपभोग-. कितने मीठे,. कितने सुस्वादु हो गए थे तुम-. मैं आकंठ तृप्त हुआ,. क्षुधा शांत हुई मेरी! तृप्ति के संतोष से. उपजे आशीष को. दो खण्डों में बांटकर. मैंने एक भाग तुम्हें दिया,. दूसरा उसे दे आया. जिसकी कोमल बाहें छोड़. तुम टपक पड़े थे भूतल पर! रख आया हूँ बगीचे में-. पके हुए फल? फिर से आना,. अपनी ब&#23...

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मुक्ताकाश....: February 2014

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मुक्ताकाश. बुधवार, 19 फ़रवरी 2014. धूमकेतु-से चमके आचार्य नलिन. समापन क़िस्त]. खिंची हुई प्रत्यंचा से. जब छूटा वह शर. लक्ष्य भेदकर भटक गया वह,. जाने किस पथ कहाँ गया वह.।". प्रस्तुतकर्ता. आनन्द वर्धन ओझा. कोई टिप्पणी नहीं:. मंगलवार, 18 फ़रवरी 2014. धूमकेतु-से चमके आचार्य नलिन. तीसरी क़िस्त]. प्रस्तुतकर्ता. आनन्द वर्धन ओझा. कोई टिप्पणी नहीं:. सोमवार, 17 फ़रवरी 2014. धूमकेतु-से चमके आचार्य नलिन. दूसरी क़िस्त]. प्रस्तुतकर्ता. आनन्द वर्धन ओझा. कोई टिप्पणी नहीं:. रविवार, 16 फ़रवरी 2014. बेख़ौफ़ आत&#2368...गुन...

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मुक्ताकाश....: December 2014

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मुक्ताकाश. बुधवार, 24 दिसंबर 2014. हिन्दी के मुक्त-पुरुष मुक्तजी. डॉ. आचार्यश्री श्रीरंजन सूरिदेव. चित्र-परिचय : पूज्य पिताजी का यह चित्र १९४९ में प्रकाशित उनके उपन्यास 'पुलिना के पत्र' में छापा था, वहीँ से लिया गया है.]. प्रस्तुतकर्ता. आनन्द वर्धन ओझा. 1 टिप्पणी:. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). लिखिए अपनी भाषा में. मेरे बारे में. आनन्द वर्धन ओझा. चल पडा हूं, और चलना है मुझे! राह लम्बी है, न रुकना है मुझे! ब्लॉग आर्काइव. मेरी ब्लॉग सूची. 6 वर्ष पहले. 3 माह पहले.

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मुक्ताकाश....: देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद पर महाकवि निराला की संभवतः अप्रकाशित कविता...

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मुक्ताकाश. रविवार, 18 जनवरी 2015. देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद पर महाकवि निराला की संभवतः अप्रकाशित कविता. अगर नहीं हुई, तो निःसंदेह यह अत्यंत महत्त्व का दस्तावेज़ है ।. संभवतः, मेरे सौभाग्य से! मूल और टंकित प्रति के साथ आज इसे लोकार्पित कर धन्य हो रहा हूँ । - आनन्दवर्धन ओझा]. C/o Pandit Ramlalji garg,. Karwi, Banda (U.P.). प्रिय मुक्तजी,. श्रीरामकृष्ण मिशन लाइब्रेरी,. गूंगे नव्वाब का बाग़,. अमीनाबाद, लखनऊ ।. उत्तर ऊपर के पते पर । नमस्कार ।. उगे प्रथम अनुपम जीवन के. जन-गण-तन-मन-धन-धर्मी हे! जी क&#2368...

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शिफ़ा कजगाँवी - شفا کجگاونوی : 03/14/15

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शिफ़ा कजगाँवी - شفا کجگاونوی. मालिक तेरी अताओं की हद क्या करूँ बयाँ वो भी दिया कि जिस का था वह्म ओ गुमाँ नहीं. मेरे ब्लॉग परिवार के सदस्य. शनिवार, 14 मार्च 2015. इस बार पक्का वादा है कि अब ब्लॉग पर आने में इतनी देर नहीं लगेगी. ज़ुल्म की ये इंतहा और मुन्सिफ़ी सोई हुई. गर्म है बाज़ार ए ग़म लेकिन ख़ुशी सोई हुई. रेशमी बिस्तर प जागी बादशाहत रात भर. पत्थरों के फ़र्श पर है मुफ़लिसी सोई हुई. ख़ुश्बुओं की ओढ़ कर चादर , बिछा कर रौशनी. बाग़ के हर फूल पर थी चाँदनी सोई हुई. प्रस्तुतकर्ता. इस्मत ज़ैदी. चाँदनी. हर कोई म&#2...

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शिफ़ा कजगाँवी - شفا کجگاونوی : 11/18/14

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शिफ़ा कजगाँवी - شفا کجگاونوی. मालिक तेरी अताओं की हद क्या करूँ बयाँ वो भी दिया कि जिस का था वह्म ओ गुमाँ नहीं. मेरे ब्लॉग परिवार के सदस्य. मंगलवार, 18 नवंबर 2014. एक अरसे के बाद ग़ज़ल की शक्ल में कुछ टूटे फूटे अल्फ़ाज़ और ख़यालात के साथ हाज़िर हूँ. लौट भी आओ सफ़र से. ख़बर भेजो कभी तो नामाबर से. यही हैं राब्ते अब मुख़्तसर से. बहुत दुश्वार है सहरा नविरदी. बस अब तुम लौट भी आओ सफ़र से. निशने पर हूँ मैं हर सम्त से ही. इधर से तीर और ख़ंजर उधर से. पराया कर दिया लहजे ने तेरे. प्रस्तुतकर्ता. नई पोस्ट. 6 दिन पहले. हर क&#2379...

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मौन के खाली घर में... ओम आर्य: August 2010

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मौन के खाली घर में. ओम आर्य. यही करता रहा है. Friday, August 20, 2010. अब और बंजर होने की जगह नहीं हो. वे टूटें. भूकंप के मकानों की तरह. और फटें. बादलों की तरह. हम कहीं दूर सूखे में बैठ कर. देखें उनका टूटना और फटना. लिखे उनके दुख और खुश होवें. टूट पड़ें सड़क पे. लाल बत्ती के हरी होते हीं. और बाजू में. बच कर निकलने के लिए संघर्ष करते. साइकिल वाले की साँसों का. उथल-पुथल देखते हुए. पार कर जाएँ सफ़र. रात की तेज बारिश में. बह गयी हों सारी यादें. तब भी सुबह उठ कर हम टाल जाएँ. अपनी मासूमियत. उधर पत्थर फ&#23...

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मौन के खाली घर में... ओम आर्य: February 2011

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मौन के खाली घर में. ओम आर्य. यही करता रहा है. Tuesday, February 8, 2011. रूह में नंगे जाना होता है. मैं चलता गया था उसकी तरफ. दूरी कितनी तय हुई मालूम नही. रास्ते में मै कही ठहरा नही जिस्म पर. और वो भी. रूह से पहले तक. दिखायी नही दी एक बार भी. अचानक से हुआ कि छू लूं. जैसे ही दिखी पर. अदृश्य हो गयी हाथ बढाते ही. तब लगा मैं. लिबास साथ लिये आ गया था. लौटना पड़ा मुझे. रूह में नंगे जाना होता है. Tuesday, February 08, 2011. Labels: अदृश्य. Saturday, February 5, 2011. और ये नया साल भी. तुम तक पहु&#23...रूह...

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होकर भी नहीं होना..: February 2011

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होकर भी नहीं होना. क्योंकि अक्सर यहाँ होते हुये भी मैं यहाँ नहीं होता।. Sunday, February 6, 2011. नोट्स…. 2- उस दिन जब वो पारदर्शी काँच के उस पार थी, मैं उसे देख सकता था… उसे महसूस कर सकता था… उसके होठों को पढ सकता था… लेकिन हाथ बढाकर भी उसे छू नहीं सकता था…. कंप्लीटली इनकंप्लीट…. मेरे कुछ नोट्स ‘निर्मल‘. के लिये…. तस्वीर मानव के ब्लॉग. Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय). Links to this post. Labels: कुछ एं वें ही. निर्मल वर्मा. Subscribe to: Posts (Atom). इधर भी हैं अपन. अज़दकी अलमारी. वे दिन. एक आलसी ...

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शिफ़ा कजगाँवी - شفا کجگاونوی : 05/30/13

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शिफ़ा कजगाँवी - شفا کجگاونوی. मालिक तेरी अताओं की हद क्या करूँ बयाँ वो भी दिया कि जिस का था वह्म ओ गुमाँ नहीं. मेरे ब्लॉग परिवार के सदस्य. गुरुवार, 30 मई 2013. एक हिंदी ग़ज़ल प्रस्तुत करने का साहस कर रही हूँ. जो कमियाँ हों उन से अवगत कराने की कृपा अवश्य करें. हम कर्तव्यों को पूर्ण करें, माँगें केवल अधिकार नहीं. मानव से मानव प्रेम करे,संबंधों का व्यापार नहीं. जिस धरती माँ में सहने की शक्ति का पारावार न हो. कंगन,चूड़ी,पायल,बिछिया,मेंहदी,र. 2379;ली,झूमर,टीका. प्रस्तुतकर्ता. नई पोस्ट. कारवान ए अदब. प्र...

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शिफ़ा कजगाँवी - شفا کجگاونوی : 08/06/13

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शिफ़ा कजगाँवी - شفا کجگاونوی. मालिक तेरी अताओं की हद क्या करूँ बयाँ वो भी दिया कि जिस का था वह्म ओ गुमाँ नहीं. मेरे ब्लॉग परिवार के सदस्य. मंगलवार, 6 अगस्त 2013. आज उर्दू ग़ज़ल पर वापस आते हैं, यूँ तो ग़ज़ल, ग़ज़ल है चाहे वह किसी भी भाषा में हो. क्योंकि उस का आधार तो भावनाएं हैं , जज़्बात हैं. और इन्हें ज़ुबान के बदल जाने से. कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता. शफ़क़त* निसार* की है ,निगाहों ने उम्र भर. महफ़ूज़* रक्खा माँ की दुआओं ने उम्र भर. शिकस्त= हार, पराजय. प्रस्तुतकर्ता. इस्मत ज़ैदी. नई पोस्ट. जाने क...सुब...

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काव्यांजलि: March 2015

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काव्यांजलि. गुरुवार, 26 मार्च 2015. युग परिवर्तन. न तुलसी होंगे, न राम. न अयोध्या नगरी जैसी शान . न धरती से निकलेगी सीता ,. न होगा राजा जनक का धाम . फिर नारी कैसे बन जाये. दूसरी सीता यहां पर ,. कैसे वो सब सहे जो. संभव नही यहां पर . अपने अपने युग के अनुसार ही. जीवन की कहानी बनती है ,. युग परिवर्तन के साथ. नारी भी यहॉ बदलती है . प्रस्तुतकर्ता. ज्योति सिंह. 2 टिप्‍पणियां:. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). ज्योति सिंह. Satna, m.p., India. ब्लॉग आर्काइव. 2 दिन पहले.

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शिफ़ा कजगाँवी - شفا کجگاونوی : 12/06/12

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शिफ़ा कजगाँवी - شفا کجگاونوی. मालिक तेरी अताओं की हद क्या करूँ बयाँ वो भी दिया कि जिस का था वह्म ओ गुमाँ नहीं. मेरे ब्लॉग परिवार के सदस्य. गुरुवार, 6 दिसंबर 2012. एक माह के अरसे के बाद एक बार फिर एक ग़ज़ल के साथ हाज़िर ए ख़िदमत हूं. हथियार तेरे किस को डराने के लिये हैं. हम तो तेरा हर वार बचाने के लिये हैं. हर फूल की क़िस्मत में शिवाला नहीं होता. कुछ फूल तो मय्यत पे सजाने के लिये हैं. आँसू को सदा ग़म से ही जोड़ा नहीं करते. नशेमन= घोंसला , नीड़. प्रस्तुतकर्ता. इस्मत ज़ैदी. नई पोस्ट. कारवान ए अदब. प्र...

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शिफ़ा कजगाँवी - شفا کجگاونوی : 10/09/13

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शिफ़ा कजगाँवी - شفا کجگاونوی. मालिक तेरी अताओं की हद क्या करूँ बयाँ वो भी दिया कि जिस का था वह्म ओ गुमाँ नहीं. मेरे ब्लॉग परिवार के सदस्य. बुधवार, 9 अक्तूबर 2013. लंबा अरसा गुज़र जाता है और शायद आप लोग. भूलने लगते होंगे तो मैं फिर कुछ न कुछ. ले कर हाज़िर हो जाती हूँ और. ब्लॉग की सालगिरह भी है. सपनों में तू आया कर. स्वर्ग की सैर कराया कर. नफ़रत की चिंगारी पर. प्रेम सुधा बरसाया कर. चाँद को पाना नामुमकिन. चातक को समझाया कर. नाउम्मीदी कुफ़्र भी है. आस के दीप जलाया कर. इतना मत इतराया कर. नई पोस्ट. पत्थर...

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